US: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रक्षा नीति बिल पर किए हस्ताक्षर, भारत के साथ सैन्य सहयोग और क्वाड पर जोर
by वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन · Amar Ujalaविस्तार
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 19 दिसंबर को 2026 के लिए राष्ट्रीय रक्षा नीति बिल पर हस्ताक्षर किए। इस बिल में भारत के साथ गहरा सैन्य और रणनीतिक सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया है, खासकर क्वाड के माध्यम से, ताकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को स्वतंत्र और खुले रूप में सुरक्षित किया जा सके और चीन की बढ़ती चुनौती का सामना किया जा सके।
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बिल में यह भी कहा गया है कि विदेश सचिव को अमेरिका-भारत रणनीतिक सुरक्षा संवाद के तहत भारत सरकार के साथ परमाणु उत्तरदायित्व नियमों पर एक संयुक्त सलाहकार तंत्र स्थापित करना होगा। इस तंत्र के माध्यम से दोनों देश नियमित रूप से मिलकर 2008 में हस्ताक्षरित शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा उपयोग समझौते के कार्यान्वयन का आकलन करेंगे और भारत में घरेलू परमाणु नियमों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने के अवसरों पर चर्चा करेंगे।
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रक्षा विभाग और विदेश विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका के रक्षा गठबंधन और साझेदारी को मजबूत करने के लिए प्रयास जारी रखें। इसके तहत भारत के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने, सैन्य अभ्यासों में भागीदारी, रक्षा व्यापार का विस्तार और मानवीय सहायता तथा आपदा प्रबंधन में सहयोग को प्राथमिकता दी जाएगी।
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क्वाड, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, 2017 में चीन की आक्रामक गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए स्थापित किया गया था। बिल में यह भी कहा गया है कि रक्षा सचिव और विदेश सचिव को मिलकर रक्षा औद्योगिक आधार को मजबूत करने के लिए रणनीति बनानी होगी, जिससे क्षमता, कार्यबल और आपूर्ति श्रृंखला की सुरक्षा बढ़ सके।
ट्रंप ने कहा कि यह बिल शक्ति के माध्यम से शांति एजेंडा को साकार करने, घरेलू और विदेशी खतरे से सुरक्षा सुनिश्चित करने और रक्षा उद्योग को मजबूत बनाने में मदद करेगा, साथ ही गैरजरूरी और चरमपंथी कार्यक्रमों पर खर्च को रोकने में सहायक होगा।
इस बिल के तहत अमेरिका के मित्र और साझेदार देशों (ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, न्यूजीलैंड सहित) को सुरक्षा पहल में शामिल करने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा, संयुक्त रिपोर्ट को बिल के लागू होने के 180 दिन के भीतर और उसके बाद हर साल पांच वर्षों तक प्रस्तुत किया जाएगा।
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